Monday 19 August 2013

हमारे  परम  प्रिय  मित्र  लालमणि  यादव  जी के मुखारविन्दु  से  कलमबद्ध  कविता
आपके  सामने   लिख    रहा  हूँ ,,,==============================



भ्रष्ट  लोकतंत्र  में  प्रतंत्र  सब  लोग  हैं ,,,
                                     स्वतंत्रता  के नाम  पर  कलंक   लागि  जात   हैं ,,
जाति  -पाति   क्षेत्र वाद   भाई  और  भतीजा  वाद
                                               पुत्र  और पत्नी  का वाद  सबहिं  को खात  बा ,,,
 रस  और  मलाई  में  भलाई  सब  देख रहे ,,
                                            मानव  में मनुजता  का रूप  न  देखात  बा ,,
आया  जवान  का ज़माना , चले  बूढ़  का  कहा  ना ,,
                                          माई  -बाप  भय  बेगाना , ऐसा  देश  में देखात  बा ,,
बही  पश्चिमी  बयार  , इज्जत  खाई  लहेस  मार
                                          सब  किये  स्वीकार , देशवा  धारहु  धार  जात  बा ,,
मजा  मारे  घूसखोर  घूमे   चौराहे  पर  चोर ,,
                                          चोर  पर ,मंत्री  के  हाथ , दिल्ली  में देखात  बा ,
मानव  में मनुजता  का  रूप  न  देखात  बा ,,,
                                          देश  धारहु  -धार  जात  बा ,,,

हिमगिरी पर कैसे त्रिपुरारी ,,,,

जगत  कलेवर  हेम मन ,
स्वाति  नखत  की बूँद ,
                       हिमगिरि  के अम्बार  में  बसे   त्रिलोचन  देव ,,,,,
रहे  त्रिलोचन  देव ,
                  करे   जलधर  नित   गर्जन ,,,,,
चपला  घन  में  चमक  रही
                               जलमय  सृष्टि  उत्कंठा   में ,,,,
मानव  पर  कहर   वेदना  का ,,,
                                     मद  आमर्ष  सारंग  देख ,,
धरणी  पर  ढाये  अम्बुधार ,
                                   कानन  को  करता   है  निर्जन ,,,,,
कानन  तो  निर्जन  होते   है ,,,
                           जीवों  को  देता  महा  त्राण ,,,
मदकल  ,अश्व  और  गौ   , धरणी ,,,
                                      सदन  भरे  जलमय  यह  धरणी ,,
मानव  व्यथित   देख जलधर   को ,,,
                                         आखिर   कब  जाओगे  नीरद   तुम ,,,
नभचर  मीन   उरग  गति  कैसे ,,,,
                                     बिनु  आदित्य   रश्मि   हो जैसे ,,,
हिमगिरी  पिघल  रहा  है  ऐसे ,,,,
                                     नभ  भास्कर   भई  गति  सम्पाती   जैसे ,,,,,,,
मेघ  करे   गर्जन  नित  भारी ,,
                            हिमगिरि  पर  कैसे   त्रिपुरारी ,,,,,,
 रत्नगर्भा  के  वक्षास्थल  पर ,
इतना  क्यों  भरते   हो   जल धार ,,,,,
                                             कितनी  निष्ठुर  होती   लहरें ,,
जन -जन  को करती  बेहाल ,,,
मेघ  करे  गर्जन   नित  भारी ,,,,,
                                        हिमगिरी  पर  कैसे   त्रिपुरारी ,,,,

Friday 16 August 2013

रेत माफिया की राजनीति और दुर्गा शक्ति नागपाल

रेत  माफिया  की  राजनीति  और  दुर्गा शक्ति  नागपाल

नारायण  के  वच्छस्थल   से  निकली  हुई   राजनीति  को नमन  करता हूँ ,   हे राजनीति   तुम  सम्पूर्ण ब्रहमांड  की  जननी   हो ,
 प्रत्यक्ष  या  परोक्ष  रूप  से  आपके  चक्रव्यूह  से  कोई  नहीं   बचा  है , आज  सूफी  संत , महात्मा , धर्माधिकारी , आपके
आधीन  हैं ,  धर्म भी  आज  आपकी  चौखट  का पहरेदार  बन चूका  है ,,,   नेताओं  का काम  नेतागिरी  करना  है ,,,  पहले  गांधीगीरी  ज़माना  था ,,  नम्रता , सद्भाव ,अहिंसा    उनके  आभूषण  हुआ  करते थे ,,,  आज  कल  के  नेताओं  से  प्रदुषण
हुआ  करते  है ,,, आज  हमारे  भारत  के  ज्यादातर  नेता  जेलखानो से लेकर  मर्डर , बलात्कार ,  हिंसा  जैसे  अद्वातीय
कारनामों  के  मुरीद  हो चुके  हैं ,  वोट  और  नोट  की प्रतिस्पर्धा  उन्हें  उस  पायदान  पर  लाकर  खड़ा  कर दिया ,  जो  उनकी
 अस्मिता  पर  बदनुमा  दाग  है ,,,  फिर   भी  हमारे  नेता  जी  बेदाग़  हैं ,,   कड़क -  काजी  श्वेत  परिधान  की    चमक  उनकी
बेदाग़ पन  का     शंखनाद  है , काले  कारनामों  के लिए  मशहूर  नेता  जी  समाज  के  आदर्श  होते है ,,,
अब  हम  उत्तरप्रदेश  की  राजनीति  की  बात  करते  हैं ,,  वहाँ  सपा  में यूपी   एग्रो  के  चेयरमैन   नरेन्द्र  भाटी   जी है ,,,  आजकल  उनके  काम  के कारनामे  भारत  के  न्यूज चैनल  से लेकर  समाचार  पत्रों   की  रौनक  बनाए  हुए हैं ,,
४ १  मिनट  के  कारनामों   की  धमाल  सुनकर  मुझे  आश्चर्य  होता   है ,  क्या  हमारे  देश  का  लोकतंत्र  यही है ,,
 फिर  मै  सोचता  हूँ ,  ये  लोकतंत्र  नहीं   नेतागीरी  है ,, एक  सज्जन  हमसे   पूछे   यूपी  में नेतागीरी  बहुत  है
 हमने  कहा    वहाँ  सीट  ज्यादा  है ,,  नरेन्द्र  भाटी  का  नाम  नहीं  सुना  था ,,,
तभी  सम्पूर्ण   भारत  बच्चा -बच्चा   सुन  रहा  है ,,  ४१   मिनट   का  कमाल ,,,
 गिनीज  बुक  की  टीम  भी  समीक्षा  करने  के लिए  आने  वाली  है ,,,,
वो  किसलिए
उनका  काम  क्या  है ,,
अदभुत  कार नामों  का  पंजीकरण  करना ,,,
कौन  बुला  रहा  है ,,,
न्यूज  चैनल  , से लेकर  समाचार  पत्र  वाले  खबर  छाप -छापकर  आने  के लिए  मजबूर  कर देंगे ,,
वाह  मिडिया ,,
गौतम  बुद्धनगर  की  धरा  पर अहिंसा  के पुजारी   गौतम  बुद्ध  की  अहिंसा , के  क्षेत्र  में   हिंसा  का  रूप  देने वाले नेता
उन्हें  धर्म  से ज्यादा  रेत  माफियाओं  से लगाव  है ,,  इसे मस्जिद  से जोड़कर  साम्प्रदायिकता  का  बीज  बोना
जनता  को  गुमराह  करना  है ,,  सरकारी  जमीन  पर मस्जिद  बनाना ,,  नेताजी द्वरा  चन्दा  देना  , शिलान्यास  करना
क्या  है ,,,
नेता  होकर  सरकारी  जमीन  का  धार्मिक  अधिग्रहण  करना ,,,,  क्या  एक  सोची समझी  राजनीति  नहीं है ,,,,
आई  ए  एस  एस डी  एम्  दुर्गा शक्ति  नागपाल का रेत  माफियाओं  पर कार्यवाही  का  प्रतिशोध  था
ईमानदार  सशक्त  युवा  महिला  अफसर  को  निलंबित  कराना ,,,  उनकी  हार   और  हताशा  का    नतीजा  था ,,
प्रसन्नता  का  इजहार  ४ १  मिनट  का  सस्पेंड  आर्डर  था ,,,,
जो उनकी  भूल   थी ,
जो  उन्हें  न  उगलते  बन  रहा  है  , न  निगलते ,,,,
हार  और  प्रतिकार  स्वरूप  नेताजी  आशय  को  वेआशय   बताते  हैं ,,,,,
आजकल  के नेता जी  आवेश  में  कुछ  भी  बोल्  देते हैं ,
कांग्रेस  की  दिग्विजय  जी  उनके कामेन्ट  सदैव  चर्चे  में रहे  हैं ,,,
महाराष्ट्र   के वरिष्ठ  नेता  अजीत पवार  ,  समाज  सेवक  देशमुख   द्वरा  पानी की  मांग  पर  अभद्र  टिप्पणी
से  चर्चित  रहे  हैं ,,
 नेताओं  द्वारा  एस  आई  को पीटना ,  झगडा  करना ,,,
 आदि  नेता  वृत्तांत  को  परिसीमित  नहीं  किया   जा  सकता
 नेता  जी  हैं  आवेश  में आये   , भूल  हो  गयी ,,
जनता  की  चाहत  चकना  चूर  हो गयी ,,,,
हर दल मे ही दलदल है ,,, तभी तो देश मे हलचल है ,,,,,
दुर्गा शक्ति नागपाल आप के कार्यकुशलता , साहस पर हमे गर्व है ,,
 झुकी नहीं बैरी के गढ मे ,
 कितने आये होंगे वार ,,
 करती रही कर्म की रक्षा ,
 नही प्रत्यर्पन उसकी इच्छा ,,, ,
दुर्गा शक्ति नागपाल=
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर युवा अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल के साथ गलत व्यवहार ना हो ,, केन्द्र और राज्य आपसी बातचीत से मामले का हल निकाला जा सकता है ,,,, हल न निकलने की स्थित मे केन्द्र सरकार को सर्विस रूल्स के अनुसार 45 दिन तक इंतजार  करना होगा ,,,,,,, यूपी मे नौकरशाही नही , नेतागीरी चलती है ,,,, यूपी की राजनीति से अग्यान दुर्गा शक्ति नागपाल , रेत माफियाओं के दुर्ग को ध्वस्त कर दिया , नरकासुर [भौमासुर ] जैसे अजेय दुर्ग का दुर्गा द्वारा भेदन दुसह हो गया ,, सरकारी राजस्व के नुकसान को बचा कर दुर्गा कोई गलत नहीं किया , इसे राजनैतिक दृष्टिकोण चश्मे से बाहर आकर देखना चाहिये ,, राजनीति करना नेताओं का काम है ,, जनता सिर्फ न्याय चाहती है ,,, युवा राजनेता अखिलेश यादव की जीत पर मुझे गर्व था ,, काश यूपी की राजनैतिक सोच बदलेगी ,, लेकिन राजनीति के मझे महारथी के सामने विवस अखिलेश यादव को देकर विषाद होता है ,,,,, वह अपने विवेक का उपयोग कर सकें ,,,,,,
वाह राजनीति गजब् की चीज है तू,,
दुनिया के धुरंधरों की समशीर है तू,,,,,,
वक्त बेवक्त की तस्वीर है तू
चाहत से बढ़कर , जुदाई की जमीर है तू,
, दुनिया की खूबसूरती की तस्वीर है तू,,,,,,,
तेरी महिमा को क्या लिखूं कलम के निशाने से ,,
अपने को भी नहीं बक्सा राजनीति के मयखाने से,,,,,,,
नेता आरती सुरक्षा कवच है , अर्जुन के तीब्र बाण भी नहीं भेद सकते , कर्ण के कवच कुंडल के समान है ,,,, कलियुग नेता महामंत्र से ना जाने कितने की भाग्य रेखाएं बद्ल गयी , दसम ग्रह शान्ति महामंत्र का जाप करने वाले लोगों से आप परिचित ही होंगे ,,,,
ॐ  जय  नेता  देवा ,,
जो जन  करते  तुम्हारी  सेवा ,,,
क्लेश  विकार  उन्हें  न  होवे ,,
सुख  सम्पति  चढ़ते  सब  मेवा ,,
ॐ  जय -जय  नेता  देवा ,
भक्ति  -भाव  से  करे  जाप  जो ,
उनके  कष्ट  को हरते  आप  हो ,,
जो  जन  उनको  त्रास  देत  हैं ,,
उनको  आप  श्राप  देत  हैं ,,,
मन क्रम  बचन  करे  जो सेवा ,
 चिरंजीव  खावे   नित  मेवा ,,,,
 ॐ  जय  जय   नेता देवा ,,
आपकी  महिमा  जो नित  गावै ,
दस  ग्रह  ताहि  निकट  नहिं  आवै ,,,,,,
आप  सोचते  ग्रह  दस  क्या है ,,
नेता  से डरते  ग्रह  सब हैं ,,,,
शुक्र   शनि  भी  बने  अर्दली ,
गुरु  से मच  गयी  नयी  खलबली ,,
 सोम  और  ,रवि  गति  न  पावै
जब  तक  नेत  महात्म्य    न गावै ,,//
ॐ जय -जय   नेता  देवा ,,,,,
 मंगल , बुध  शुद्ध  तब  होई
जब  नेता  की  अस्तुति   होई ,,
  राहू  ,केतु  का   औकात ,,
जऊ  नेता  से  पावहि  पार ,,,,,,
ॐ जय  नेता  देवा ,,
जन  जन  करता  आपकी  सेवा
 ॐ  जय  जय  नेता  देवा ,,,,
मेरा  इरादा  किसी  नेता  का  अपमान  नहीं , बल्कि  यथार्त  से अवगत  कराना  है ,  दर्पण   सच्चा  मित्र   होता  है ,,,
सत्य  कडुआ  होते हुए  भी  न्याय  संगत  है ,,, लोकतंत्र  में जनता की भावनाओं  की  कद्र  करना  जनप्रतिनिधि  का
दायित्व  है  , इस सत्य  से  बंचित  होना  , न्याय  संगत  नहीं , अब्राहिम  लिंकन  ने कहा  है ,,,  लोकतंत्र  जनता के लिए
जनता  द्वरा  जनता  के ऊपर  शासन  है ,,,, ,,,, आप  जनता  [वोटर]  द्वरा  निर्वाचित  होकर  जन  मार्ग  से विमुख  होना
आपकी  उदासीनता  का  द्योतक  है ,,,,, सभी नेता एक सरीखे नहीं होती ,, विशिष्ट विशेष नेता सदैव समाज के लिये आदर्श रहें है , हमे उनके आचार -विचार , कार्य करने की शैली , स्वार्थ से हटकर जनहित कार्य अविस्मरणीय रहे है ,
, शैले शैले न माणीक्यम् , मौतीक्यम् ना गजे -गजे,, साधु वम न सर्वत्र म चन्दनम् न वने-वने,,,,, आज आदर्शवाद , प्रकृतिवाद से मोहभंग करके प्रयोजनवाद का आकर्षण धन लिप्सा की चाहत शार्ट कट तरीके का उद्‌भव मानव मन की क्षीण मानसिकता का द्धोतक है ,,,
जय  हिन्द  , जय  भारत ,,,,,,

Wednesday 14 August 2013

आज कल की भक्ति कार्टून भाईला ,,,,

आजकल की भक्ति  भी  कार्टून भाईला ,

 सावन  के महीना  का  तस्वीर भाईला,,,

काम और धाम मे मशगूल,,,   शिव  के  नाम   होयेला ,,,

,उनकी चाहतों मे शिव  का  ही  नाम   होएला ,,,

शिव भक्ति मे ऐसहि, मशगूल भाईला ,,,,

आज कल की भक्ति कार्टून   भाईला ,,,,

उनहू का  भोला  सा  शूरूर होयला ,

,, आज कल उन्हिन  की  भक्ती मशहूर भाईल ,

 हरी -हरी घसिया मे नूर दिखेला ,

  भक्त   तेरी चाहत का गुरूर दिखेला ,,,
शिव  भाक्ति  में ऐसा   ही   नूर   दिखेला ,,








आजकल की भक्ती कार्टून दिखेला ,,,

चाहत मे उनके रंगून दिखेला ,

आजकल की भक्ती जैसे मून [चाँद] भाईला ,,,

कागज के लिफाफे की मज़मून भाईला ,

आज कल की भक्ती कार्टून दिखेला ,,,,,
चाहत  में  उनके  रंगून   दिखेला ,,,,,,

Tuesday 6 August 2013

हे जल क्या तेरा संसार

हिमगिरि  के कण -कण  से निकली ,
जल कल की  वह  धार ,,
कि  हे जल  क्या  तेरा  संसार ,,,  
                                      झरने  से  तू  ही  झरता  है ,,
                                   तन  मन  को शांति  देता   है ,,
                                  विह्वल  होता  है  जन  मानस ,, 
                                   देख कर  तेरा  रूप  सुहावन ,,,
हे  जल  क्या  तेरा  संसार २ ,,,,
                                              हिमगिरि    धारा  से  निकल 
                                            निकल  कर ,,,
                                              जलधारा  में  तितर -वितर  कर ,,,
                                               भरता  है  तू  बेग 
कि  जल  क्या  तेरा  सन्देश ,,,,
                                                        
                             हिम  से निकल  पकड़  वह  डगर 
                             गिरि  खण्डों  का  अगर-तगर ,
करती  है  उसका  विच्छेदन 
वसुधा का   अंतस्तल   भी  करता  
है  उससे  रगड़ -झगड़ ,,
                                  हे जल  क्या तेरा  सन्देश ,,,,
चौरस  मैदानों  में आता , 
                               देख कर  छवि   जन  -जन  हर्षाता ,,,,
कल  कल  की ध्वनि  गुंजन  होता ,,,
                        जीव  -जंतु  का  मंगल  होता ,,,,
        हे जल  तेरा  क्या  सन्देश ,,
                                          हे तेरा  क्या  संसार ,,,,,,
                                 

Sunday 28 July 2013

निर्मल निर्झर नीर ,

निर्मल   निर्झर   नीर   ,
 नीरद  का  अम्बर  देखा ,
मन  उत्कंठा  मोर  देख ,
मन  विह्वल  नाचे ,
चातक,  मीन,   नीर  ,
मन  भावै ,
स्वाति  बूँद   चातक  
   रस  पावै ,,
निर्मल   निर्झर   नीर   ,
 नीरद  का  अम्बर  देखा ,
जैसे  मीन  मेघ 
 जल  पाई ,
 स्वाति  बूँद  
शीप   महि  जाई ,
मोती  होई  सुलभ 
जग  सोई ,
तथा  कथित   यह  शब्द 
न होई ,, 
निर्मल   निर्झर   नीर   ,
 नीरद  का  अम्बर  देखा ,
 हरित  होई  जल  
पाई  तडागा ,
मानव  मन   उत्कंठा   जागा ,,,
निर्मल   निर्झर   नीर   ,
 नीरद  का  अम्बर  देखा ,

चहुँ  दिश  हरित  , 
होई  जग माहीं ,,
धरा  नीर  अमृत 
होई  जाहीं 
निर्मल   निर्झर   नीर   ,
 नीरद  का  अम्बर  देखा ,

 

संपादक के सोच का नजरिया

सुबह  उठता  हूँ ,
अखबारों  का  न्यूज   देखता  हूँ ,,, इस  सारे  जहाँ  में  क्या   हो  रहा   है ,  आज का  मौसम   कैसा  है ,  कंही  पर   बारिस  अपना 
कहर   ढाती  है ,  कहीं   ग्रीष्म  की  उष्णता   तपन   ढाती  है ,  कुदरत  का    नजारा  अजीब   होता  है ,,, जो कुछ  भी  होता  है 
इत्फाक  होता  है ,,  कहीं  प्रकृति   कहर  ढाती   है ,,  कहीं   मनुष्य  की  पशुता   मानवता  का  उपहास   करती  है ,  फिर  सोचता 
हूँ  , क्या  आज  का  मानव  स्त्री  को  एक  वस्तु  समझता  है , जो  कि  उसके  माँ   ,बहन ,  बेटी  आदि  के समान   है क्या  फ़िल्मी 
संगीत में  तू  चीज  बड़ी  है   =============की   कल्पनाओं  पर  गीतकार  और  संगीतकार  शब्दों  की  झंकार  जब  जन मानस   सरोबार   होती  है ,  आज   लोकतंत्र  का  चतुर्थ  स्तंभ   भी  व्यापारी  करण  में  लिप्त   हो  चूका    है ,,  दिन  प्रतिदिन 
बलात्कार  जैसी  न्यूज  को  फ्रंट   पेज  पर  छाप  कर   बलात्कार  का  बलात्कार  कर  रही है,   कुछ   अखबार  दलगत  भावना    से ओतप्रोत  होते हैं , उनकी  मानसिकता   न्यायिकता  से  परे  दलगत   
 विशेष  का  कारिन्दा  बन कर  ही  रह  जाते  हैं ,  फिर   सोचने  पर   विवस   होता हूँ ,  यह  संपादक   के सोच 
का  नजरिया  है   ,  या    व्यवसाय     परक   व्यवस्था   का  अभिन्न  अंग ==  जो  भी  हो ,,,  अखबार  उस  दर्पण 
के  समान   है   जो  झूठ  नहीं      दिखाता ,,,, कभी    बिभाजित   दर्पण  आकृति   विभेद   उत्पन्न  कर  देता  है , 
 क्या  उसी  विभेद  का  प्रतिफल  है  आधुनिक  संपादकों  के सोच  का  नजरिया  ,,,,  जो अपने  कर्तव्य  मार्ग 
 से  भटकने  के  लिए  किंकर्तव्य  विमूढ़    मनोदशा  की  व्यथा  से  व्यथित   हैं ,,,,,,,                           कभी किसी चीज को बढ़ा चढ़ा कर लिखना , कभी -कभी स्वेच्छा पूर्वक साथ मे रहना ,लिव इन भी समय के बदलाव के साथ- साथ मामूली मित्रवत टकराव भी ज्यादातर प्राथमिक रिपोर्ट तक पहुंच जाते हैं ,, कभी कभी चाहत की दहलीज पर इंकार भी गुनहगार बन जाता है ,, ,स्वेच्छा  से  समर्पण ,   मित्रता  बाद  में शारीरिक - मानसिक   बलात्कार  के  प्राथमिक  रिपोर्ट  दर्ज   करा  दिए  जाते   हैं ,  स्वेच्छा  पूर्वक   विचरण   पर पुरुष  गमन 
   हमारी  भारतीय  संस्कृति    नहीं   हो  सकती ,/  वक्त  बदले  रिश्ते  बदले  रिश्तेदार   बदले ,, आज   नारी  अपने  घर  में भी  महफूज [सुरक्षित ]  नहीं ,,  /ज्यादातर  बलात्कार  की  घटनाओं  चिर  परिचितों  की  आकांक्षा  की   बलिबेदी   पर  कुर्बान   हो जाती हैं , कुछ  घरेलु   हिंसा  की  शिकार   हो जातीं हैं ,,/  कुछ  पारिवारिक  सम्मान  की  संबिदा  में  दफ़न   हो  जाती  है 
ज्यादा  तर  केस  धोखा ,  अवमानना ,  शादी  करने  से इन्कार , गुमराह  करना  आदि  प्रकार  के  दायर   होते  है ,,,
जो  न्यूज  चैनल  के  फायर  होते हैं ,,  भावना  और  जज्बात  में   रचा  गया   एक  केस   होता  है ,,  जो कोर्ट  में पेश 
होता  है ,
जब  जज्बात में आकर  कोई  काम  करता  है ,
उसका  खामियाजा  उसे  भुगतना  पड़ता  है ,
मानव  मन  की  कुंठा , चाहत  की आकांक्षा ,
क्या  बलात्कार  होती है ,,,/
आज  वक्त  बदल  चूका  है   न्यूज  चैनल , अखबार ,  नेट ,  सभी  ख़बरों  को मिर्च  मसाले  के साथ  प्रस्तुति 
की  अभिव्यक्ति  जन मानस  में  मिनटों  की  खबर   तत्काल  दिखा  देतें हैं ,, बलात्कार   प्राचीन  समय  से  चलता 
आ  रहा  है ,   राजा-   महाराजाओं  द्वारा  सदैव  होता  रहा  है ,  उस समय  न  मिडिया  थी   न  राजा- महाराजाओं 
के खिलाफ   बोलने   का  साहस ,  ,  मत्स्य  शासन  प्रणाली  में  बड़ी  मछली   छोटी  मछली  को  निकल  जाती  थी ,,
 एक  -एक  राजाओं द्वारा   कई  रानियाँ   रखना , उनकी  इच्छा  के खिलाफ  परिणय  करना ,  क्या  यह  बलात्कार 
से कम है ,, 
अरब  के   अरबियों  द्वारा   निकाह  करना ,  कुछ  दिन  या रात  के बाद  तलाक [ परित्याग ] करना ,  क्या  यह   शादी  है  या 
छलावा ,,, धर्मानुसार  शादी  करना , फिर  उसका  परित्याग करना ,  उनकी  क्षीण  मानसिकता  का  धोतक  है ,,
औरत  कोई  वस्तु  नहीं ,  जो  पसंद  नहीं  आया  फेकं  दिया ,,,  आज  गरीब  की  गरीबी  का  मजाक   उड़ाते  अरबी 
हैदराबाद  जैसे   जगहों  पर  खरीद - फरोख्त  करते  न्यूज  चैनल और , इंटर नेट पर ,  भी देखे जा  रहे है , दुभाषियों  के माध्यम  से  सौदे   करते   हैं ,,
आखिर  सरकार  ऐसे   लोगों  पर  कानून  का शिकंजा  क्यों  नहीं  कसती ,,,, क्या  यह  किसी  बलात्कार  से कम है ,,,,/
इश्क  की  डोली  बैठा ,
वह  सितमगर  जा  
रहा  है ,
ये उलझनों  की  वेणियाँ भी 
जहाँ   को  जख्म 
दे रहीं ,,
बलात्कार मानवीय आंचल पर लगा हुआ , विशद आघात है जो उनके तन-मन मे सदैव काटें की तरह् चुभता रहता है, उसकी प्राणदायनी आभा भी प्राण शून्य सी प्रतीत होती है ,,,,निगाहें   बुरी  नहीं  होती , विचार  बुरे  होते हैं ,,  कुसंग  और  संस्कार के   आभाव   की  पराकाष्ठा  मानवीय  सम्मान  का  आभाव ,, नकारात्मक   सोच ,  हीन मानसिकता  एक तरफ़ा , चाहत  की  प्रबलता , बलात्कार  की  जननी  है ,,  जो  मन  का  नकारात्मक  संबेग  होता  है ,,,
 rajkishor mishra